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सामाजिक समरसता

नरेन्द्र मोदी

प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :248
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 8215
आईएसबीएन :9789350482322

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नरेंद्र मोदी के विचारशील व चिंतनपरख लेखों का संकलन

Samajik Samrasta by Narendra Modi

अंग्रेजों ने हिन्दुत्व को, राष्ट्रीयत्व को क्षीण करने का षड्यंत्र रचा, जिसे डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी ने समझा और समाज में आयी बुराइयों को दूर करने का बीड़ा उठाया। वंचित वर्ग में प्रेरणा जगाकर उसमें ऊपर उठने की ललक जगाई। उसी प्रकार गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी समाज में व्याप्त दुःख और अभावों को दूर करने का संकल्प लिया। उन्होंने समरस समाज के विचार को प्रतिष्ठित करने का सत्प्रयास किया। समाज के विविध प्रश्नों को देखने का उनका अपना ही दृष्टिकोण है। नरेंद्र मोदी की समाज के प्रति जो संवेदना है, वंचितों के प्रति जो कर्त्तव्य भाव है और सामाजिक समरसता के लिए जो प्रतिबद्धता है, वह उनके भाषणों में, उनके लेखों में तथा उनके कार्य में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

किसी भी राज्य के संपूर्ण विकास का मापन राज्य के वंचितों-पीड़ितों के विकास (कष्ट निवारण) के आधार पर होता है। सच्चा सर्वांगीण विकास वही है, जिसमें अंतिम छोर में निवास करने वाले छोटे-से-छोटे आम आदमी तक विकास का फल पहुँचे। श्री नरेंद्र मोदी के शासन का अधिष्ठान ऐसा ही ‘कल्याणकारी राज्य’ रहा है। उनके जीवन-कार्य का केंद्रबिंदु भी समाज के अंतिम पायदान पर खड़ा सामान्य आदमी ही है।

यह पुस्तक नरेंद्र मोदी के विचारशील व चिंतनपरख लेखों का संकलन है। इसमें आमजन के प्रति उनके ममत्व भाव, सुख-दुःख में सहभागिता तथा विचार-चिंतन की श्रेष्ठता, समाज के प्रति संवेदना एवं सामाजिक समरसता के प्रति वचनबद्धता को साक्षात् अनुभव किया जा सकता है।

श्री किशोर मकवाना द्वारा इन सब लेखों को संकलित कर पाठकों के लिए प्रस्तुत करने का प्रयास अभिनंदनीय है। विश्वास है कि यह पुस्तक समरसता के क्षेत्र में कार्यरत बंधुओं के मन में आत्मविश्वास जगाकर समाज में सामाजिक समरसता का भाव दृढ़ करने में प्रेरणा जगाएगी।


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